Sri Sri Publications Trust
पतंजलि योग सूत्र - योग का सार
पतंजलि योग सूत्र - योग का सार
Regular price
Rs. 599.00
Regular price
Rs. 599.00
Sale price
Rs. 599.00
Unit price
per
Tax included.
Shipping calculated at checkout for physical products
Couldn't load pickup availability
पिछले कई दशकों से योग को केवल कई तरह के सरल और कठिन आसनों और व्यायामों से जोड़ कर देखा जाता रहा है। लेकिन वास्तव मे योग उससे कहीं अधिक है।
2500 ईसा पूर्व में आधुनिक योग के जनक, महर्षि पतंजलि ने सूत्रों के माध्यम से संसार को योग के सटीक और गूढ़ रहस्यों का उपहार दिया था जिसे कालांतर में 'पतंजलि योग सूत्र’ कहा गया। किन्ही कारणवश यह गूढ़ ज्ञान, पिछली कई शताब्दियों में कहीं खो कर रह गया था। और लोग योग की अलग-अलग भ्रान्तियों और व्याख्याओं में उलझने लगे थे।
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी के पतंजलि योग सूत्र पर भाष्य, जनमानस के लिये 'योग के सार' को पुनर्जीवित कर रहे हैं। इस पुस्तक में, गुरुदेव द्वारा योगसूत्रों की सहज और व्यावहारिक व्याख्या ने संसार के प्रत्येक व्यक्ति के लिये साधना, समाधि और कैवल्य के अद्वितीय मार्ग खोल दिए हैं।
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने समय-समय पर न केवल संसार को अपने ज्ञान वचनों से योग के विषय में प्रचलित भ्रान्तियों से मुक्त किया बल्कि करोड़ों लोगों को सुदर्शन क्रिया, प्रणायाम, ध्यान तथा संयम आदि के माध्यम से योग के सही पथ का मार्गदर्शन भी दिया है।
ऐसा माना जाता है कि योग, साधकों के लिए सिद्धियों और मोक्ष के द्वार खोलता है तथा संसारिक मनुष्यों के लिए एक स्वस्थ और सफल जीवनशैली का पथ प्रशस्त करता है। लेकिन योग के मार्ग में आने वाली बधाएं, व्यक्ति को बार-बार हतोत्साहित कर सकती हैं। ऐसे में कई बार मन में बहुत से प्रश्न आते हैं जैसे-
हमारी स्वाभाविक वृत्तियाँ हमें योग के पथ पर आने से क्यों रोकती हैं?
किस प्रकार सिद्धियाँ किसी साधक को पथभ्रष्ट कर सकती हैं?
किस प्रकार भिन्न-भिन्न अवरोध व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति से दूर कर देते हैं?
एक सांसारिक व्यक्ति अपना कार्य करते हुए एक कुशल योगी कैसे बन सकता है?
और एक साधारण मनुष्य साधना, समाधि के माध्यम से विभूति और कैवल्य की प्राप्ति कैसे कर सकता है?
इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप गुरुदेव की 'पतंजलि योग सूत्र, योग का सार' पुस्तक में प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें जीवन में उतारकर योग और ध्यान की स्वास्थ्यवर्धक और शानदार यात्रा का आनंद ले सकते हैं।
अपनी पुस्तक की प्रति आज ही आर्डर करें
Patanjali Yoga Sutra - Hindi
View full details
2500 ईसा पूर्व में आधुनिक योग के जनक, महर्षि पतंजलि ने सूत्रों के माध्यम से संसार को योग के सटीक और गूढ़ रहस्यों का उपहार दिया था जिसे कालांतर में 'पतंजलि योग सूत्र’ कहा गया। किन्ही कारणवश यह गूढ़ ज्ञान, पिछली कई शताब्दियों में कहीं खो कर रह गया था। और लोग योग की अलग-अलग भ्रान्तियों और व्याख्याओं में उलझने लगे थे।
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी के पतंजलि योग सूत्र पर भाष्य, जनमानस के लिये 'योग के सार' को पुनर्जीवित कर रहे हैं। इस पुस्तक में, गुरुदेव द्वारा योगसूत्रों की सहज और व्यावहारिक व्याख्या ने संसार के प्रत्येक व्यक्ति के लिये साधना, समाधि और कैवल्य के अद्वितीय मार्ग खोल दिए हैं।
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने समय-समय पर न केवल संसार को अपने ज्ञान वचनों से योग के विषय में प्रचलित भ्रान्तियों से मुक्त किया बल्कि करोड़ों लोगों को सुदर्शन क्रिया, प्रणायाम, ध्यान तथा संयम आदि के माध्यम से योग के सही पथ का मार्गदर्शन भी दिया है।
ऐसा माना जाता है कि योग, साधकों के लिए सिद्धियों और मोक्ष के द्वार खोलता है तथा संसारिक मनुष्यों के लिए एक स्वस्थ और सफल जीवनशैली का पथ प्रशस्त करता है। लेकिन योग के मार्ग में आने वाली बधाएं, व्यक्ति को बार-बार हतोत्साहित कर सकती हैं। ऐसे में कई बार मन में बहुत से प्रश्न आते हैं जैसे-
हमारी स्वाभाविक वृत्तियाँ हमें योग के पथ पर आने से क्यों रोकती हैं?
किस प्रकार सिद्धियाँ किसी साधक को पथभ्रष्ट कर सकती हैं?
किस प्रकार भिन्न-भिन्न अवरोध व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति से दूर कर देते हैं?
एक सांसारिक व्यक्ति अपना कार्य करते हुए एक कुशल योगी कैसे बन सकता है?
और एक साधारण मनुष्य साधना, समाधि के माध्यम से विभूति और कैवल्य की प्राप्ति कैसे कर सकता है?
इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप गुरुदेव की 'पतंजलि योग सूत्र, योग का सार' पुस्तक में प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें जीवन में उतारकर योग और ध्यान की स्वास्थ्यवर्धक और शानदार यात्रा का आनंद ले सकते हैं।
अपनी पुस्तक की प्रति आज ही आर्डर करें
Patanjali Yoga Sutra - Hindi
